कोर्ट से 10 किमी दूर थाने में 50 दिन में पहुंचा वारंट, जुर्माने के कागज खोने पर पुलिस बेगुनाह को गिरफ्तार किया था

बेगुनाह को हवालात में रखने के मामले में स्टेंडिंग वारंट काेर्ट से थाने पहुंचने में 50 दिन लग गए। संबंधित काेर्ट से थाने की दूरी 10 किलोमीटर से भी कम है। इस अवधि में मुकदमा समाप्त भी हाे चुका था। दूसरी ओर, थाने पहुंचने के बाद ने भी दस महीने तक वारंट पर कुछ नहीं किया। इस एक साल में वारंट वापस मंगाने की कोई तहरीर भी नहीं पहुंची। एसीएमएम कोर्ट संख्या-11 से पीड़ित मूलचंद का स्टेंडिंग वारंट 15 फरवरी 2019 को जारी हुआ था। इस पर जारी होने की तारीख के साथ डिस्पैच नंबर 31 डला है। साथ ही वारंट पर केस की अगली तारीख 14 मार्च 2019 भी डली थी। इस तारीख से पहले ही 26 फरवरी को पीड़ित कोर्ट में पेश हो गया। उसी दिन कोर्ट ने मुकदमा समाप्त कर दिया। कोर्ट से 15 फरवरी को जारी हुआ, यह वारंट पांच अप्रेल 19 को थाने पहुंचा था।


थाने में 10 महीने तक पड़ा रहा वारंट


वारंट थाने पहुंचने के बाद दस महीने तक पड़ा रहा। शिप्रापथ थाना पुलिस पहली बार नौ फरवरी 20 को पीड़ित के पास उसके खेत पहुंची। पुलिसकर्मी गंगाराम ने पीड़ित को बताया कि उसके नाम का स्टेंडिंग वारंट जारी हो रखा है। हतप्रभ पीड़ित ने उन्हें बताया कि उसका मुकदमा समाप्त हो चुका है। इस पर पुलिसकर्मियाें ने दस्तावेज मांगे। पीड़ित उन्हें अपने साथ अपने घर ले गया। जहां पुलिसकर्मियों को खाना खिलाने बिठाया और खुद दस्तावेज ढूंढने लगा।


जुर्माने की रसीद खोने पर पुलिस ने किया था गिरफ्तार


मुकदमा समाप्त होने के कुछ महीनों तक तो पीड़ित ने जुर्माने की रसीद और अन्य दस्तावेज संभाल कर रखे थे। पुलिस भी वारंट मिलते ही उसके पास आ जाती तो शायद दस्तावेज मिल जाते। समय बीतने पर पीड़ित ने भी उन दस्तावेजों को संभालने की जरूरत नहीं समझी। जिससे वह खो गए। इस पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।


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